Lal Bahadur Shastri Jayanti 2023: “जय जवान जय किसान” का नारा देने वाले द्वितीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती

Lal Bahadur Shastri Jayanti 2023: लाल बहादुर शास्त्री जी ने हमारे देश को आजाद करवाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. वे आजाद भारत के दूसरे प्रधानमंत्री रह चुके हैं और भारतीय राजनीति में अपनी एक अमिट छाप छोड़ी है. 02 अक्टूबर को लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती होती है. सन 1966 में शास्त्री जी को देश के सबसे बड़े सम्मान ‘भारत-रत्न’ से भी नवाज़ा गया.

लाल बहादुर शास्त्री जी सादा जीवन जीना पसंद करते थे, वो सरल स्वभाव, ईमानदार और अपनी दृढ़ता के लिए जाने जाते थे. उन्होंने ही देश को ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया था. जितना उनका जीवन खुली किताब था उतनी ही उनकी मौत रहस्यमी रही है. . आज शास्त्री जी की जयंती पर जानते हैं उनके जीवन, राजनीति और रहस्यमी मौत से जुड़ी कुछ रोचक बातें.

लाल बहादुर शास्त्री का जीवन परिचय
जीवन परिचय बिंदुशास्त्री जी जीवन परिचय
पूरा नामलाल बहादुर शास्त्री
जन्म2 अक्टूबर 1904
जन्म स्थानमुगलसराय, वाराणसी, उत्तरप्रदेश
माता – पिताराम दुलारी – मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव
मृत्यु11 जनवरी 1966
पत्नीललिता देवी
बच्चे4 लड़के, 2 लड़कियां
राजनैतिक पार्टीभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
धर्महिन्दू
जातिकायस्थ 
Lal Bahadur Shastri Biography
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लाल बहादुर शास्त्री जीवन परिचय (Lal Bahadur Shastri Biography in Hindi)

लाल बहादुर शास्त्री स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ साथ भारतीय राजनेता भी रहे हैं. उनका जन्म उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में 02 अक्टूबर 1904 को हुआ था.इनके पिता का नाम मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव था | सिर्फ डेढ़ साल की उम्र में ही उनके पिता का देहांत हो गया था और फिर अपने ननिहाल में रहकर उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की थी. महज 16 साल की उम्र में उन्होंने देश की आजादी की जंग के लिए अपनी पढ़ाई भी छोड़ दी थी और जब वे केवल 17 साल के थे, तब स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था.

शास्त्री जी की प्राथमिक शिक्षा मिर्ज़ापुर में हुई और आगे की पढ़ाई हरिश्चन्द्र हाई स्कूल और काशी-विद्यापीठ से पूरी की. लाल बहादुर जी ने संस्कृत भाषा में स्नातक किया था. काशी-विद्यापीठ से शास्त्री जी ने ‘शास्त्री’ की उपाधि प्राप्त की. उसके बाद से शास्त्री जी ने ‘शास्त्री’ को अपने नाम के साथ जोड़ दिया. इसके बाद से ही इन्हें शास्त्री के नाम से जाना जाने लगा . 1928 में इनका विवाह ललिता शास्त्री के साथ हुआ. इनके छह संताने हुई.

लाल बहादुर शास्त्री Freedom Struggle

स्वतन्त्रता की लड़ाई में शास्त्री जी ने ‘मरो नहीं मारो’ का नारा दिया था , जिसने पुरे देश में स्वतन्त्रता की ज्वाला को तेज कर दिया. 1920 में महज 17 साल की उम्र में शास्त्री जी आजादी की लड़ाई में कूद गए और ‘भारत सेवक संघ’ के साथ जुड़ गये. शास्त्री जी ‘गाँधी-वादी’ नेता थे, जिन्होंने सम्पूर्ण जीवन देश की सेवा में लगा दिया. शास्त्री जी सक्रिय रूप से 1921 में ‘अहसयोग-आन्दोलन’, 1930 में ‘दांडी-यात्रा’, एवम 1942 में भारत छोडो आन्दोलन में महत्वपूर्ण भागीदारी निभाई.

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब भारत में आजादी की लड़ाई तेज हो गई . नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने ‘आजाद हिन्द फ़ौज’ का गठन कर उसे “दिल्ली-चलो” का नारा दिया। उधर 8 अगस्त 1942 में गाँधी जी के ‘भारत-छोडो आन्दोलन’ ने तीव्रता पकड़ ली. इसी दौरान शास्त्री जी ने भी भारतीयो को जगाने के लिए “करो या मरो” का नारा दिया | जिसे 9 अगस्त 1942 को शास्त्री जी ने इस नारे में परिवर्तन कर इसे “मरो नहीं मारो” कर देश वासियों का आव्हान किया. 

प्रधानमंत्री बने लाल बहादुर शास्त्री

पंडित जवाहरलाल नेहरू की अचानक मृत्यु के बाद लाल बहादुर शास्त्री देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने. उन्होंने 09 जून 1964 को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. वे महज डेढ़ साल के लिए ही प्रधानमंत्री पद पर बने रहे और 11 जनवरी 1966 को उनकी रहस्यमी तरीके से मौत हो गई. शास्त्री जी का शासन बहुत ही चुनोतिपूर्ण रहा है. 

Prime Minister Lal Bahadur Shastri
शास्त्री जी की मौत और ताशकंद की कहानी (Lal Bahadur Shastri Death)

1965 में पाकिस्तान के साथ भारत की जंग हो गई. इस जंग के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच कई बार बातचीत के बाद जब कोई नतीजा नहीं निकला तो बातचीत के लिए एक और स्थान चुना गया, यह स्थान का नाम था ताशकंद. सोवितय संघ के तत्कालीन पीएम ने एलेक्सेई कोजिगिन ने इस समझौते का नेतृत्व किया और इस समझौते के लिए 10 जनवरी 1966 का दिन तय किया गया. समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद, 11 जनवरी 1966 की रात रहस्यमयी तरह में लाल बहादुर शास्त्री जी की मौत उनके होटल के कमरे में  हो गई. 

उस वक्त के अनुसार, शास्त्री जी को दिल का दौरा पड़ा था, पर कहते है कि शास्त्री जी का पोस्टमार्टम नहीं किया गया , क्यूंकि उन्हें जहर दिया गया था, जो आज तक रहस्यमयी बनी हुई है. कोई नहीं जनता आखिर उस रात ऐसा क्या हुआ था. 

1978 में ‘ललिता के आंसू ’ नामक पुस्तक में शास्त्री जी की पत्नी ने शास्त्री जी की मृत्यु की कथा कही है. कुलदीप नैयर जो की शास्त्री जी के साथ ताशकंद गए थे, उन्होंने  भी कई तथ्य उजागर किए हैं, परन्तु कोई उचित परिणाम नहीं निकला. सन 2012 में शास्त्री जी के  पुत्र सुनील शास्त्री ने भी न्याय की मांग की पर कुछ नतीजा नहीं निकला.

ईमानदार की मिसाल थे लाल बहादुर शास्त्री

लाल बहादुर शास्त्री देश के प्रधानमंत्री बनने से पहले रेल मंत्री और गृह मंत्री जैसे पद पर रह चुके हैं, लेकिन वो सदा जीवन जीना पसंद करते थे. वे प्रधानमंत्री आवास में खेती भी किया करते थे. और अपने और अपने परिवार का गुजरा वो कार्यालय से मिले भत्ते और वेतन से ही किया करते थे. कहा जाता है एक बार जब शास्त्री जी के बेटे ने प्रधानमंत्री कार्यलय की गाड़ी इस्तेमाल की तो शास्त्री जी ने सरकारी खाते में गाड़ी के निजी इस्तेमाल का पूरा भुगतान भी किया था. प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए भी उनके पास न तो खुद का कोई घर था और ना ही कोई संपत्ति.

“Jai Jawan Jai Kissan” जय जवान जय किसान का नारा
Lal Bahadur Shastri: जय जवान जय किसान का नारा

लाल बहादुर शास्त्री जी ने ‘जय जवान जय किसान’ का नैरा दिया था. जब वे प्रधानमंत्री बने तब देश में अनाज का बड़ा संकट था और खेती पूरी तरह मानसून पर ही निर्भर थी. ऐसे में देश में अकाल तक की नौबत आ गई थी. अगस्त 1965 में दिल्ली के रामलीला मैदान से लाल बहादुर शास्त्री जी ने पहली बार ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया था. इस नारे को भारत का राष्ट्रीय नारा भी कहा जाता है, जोकि किसान और जवान के श्रम को दर्शाता है. साथ में उन्होंने लोगों को हफ्ते में एक दिन का उपवास रखने को कहा और खुद भी वो ऐसा किया करते थे.

लाल बहादुर शास्त्री पुण्य तिथि

शास्त्री जी की पुण्य तिथि प्रति वर्ष 11 जनवरी को मनाई जाती हैं .

देश के लिए लाल बहादुर शास्त्री जी के अहम कार्य
  • हरित और श्वेत क्रांति की शुरुआत भी शास्त्री जी ने ही की 
  • शास्त्री जी भारत के पहले आर्थिक सुधारक भी रहे है .
  • लाल बहादुर शास्त्री जी ने परमाणु बम परियोजना शुरू की थी.
  • दूध के व्यापार से उन्होंने देश को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाया.
  • भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उन्होंने देश का नेतृत्व किया.
  • सैनिकों और किसानों के मनोबल बढ़ाने के लिए शास्त्री जी ने ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया था.

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Neha Aggarwwal
Neha Aggarwwal
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