Happilo Success Story: मात्र 10 हजार रुपये लगाकर बनाई 500 करोड़ की कंपनी
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Happilo Success Story: कहते हैं कि असफलता में ही सफलता की कुंजी छिपी होती है. जो लोग असफलता से घबराते नहीं हैं, वे ही सफलता के शिखर पर पहुंचते हैं. आज हम आपको एक ऐसी कहानी बताने जा रहे हैं जो आपको प्रेरित करेगी। ऐसी ही एक कहानी है विकास डी नाहर की, यह कहानी है हैपिलो कंपनी की। हैपिलो एक ड्राईफ्रूट कंपनी है जिसकी स्थापना विकास डी नाहर ने की है।
विकास डी नाहर ने अपनी मेहनत और लगन से महज 10 हजार रुपये से एक छोटी सी कंपनी की शुरुआत की और आज उनकी कंपनी का वैल्यूएशन 500 करोड़ रुपये से अधिक है।
Highlights:-
- विकास डी नाहर ने 20 बार फेल होने के बाद भी हार नहीं मानी.
- हैपिलो की शुरुआत महज 10 हजार की पूंजी से हुई.
- आज हैपिलो का कारोबार 500 करोड़ रुपये से अधिक है.
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20 बार असफलता के बाद भी नहीं मानी हार:
विकास डी नाहर [ Vikas D Nahar Biography ] का जन्म उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव में हुआ था। उनके पिता किसान थे और परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। विकास ने बचपन से ही मेहनती और लगनशील स्वभाव का परिचय दिया। उन्होंने अपनी मेहनत के बल पर बेंगलुरु विश्वविद्यालय से कंप्यूटर साइंस में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद विकास ने एक कंपनी में नौकरी करना शुरू कर दिया। लेकिन उन्हें नौकरी में मन नहीं लगा और उन्होंने अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने का फैसला किया। उन्होंने कई तरह के व्यवसायों की शुरुआत की लेकिन सभी में उन्हें असफलता का सामना करना पड़ा। उन्होंने 20 बार असफलता का सामना किया लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
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10 हजार रुपये से खड़ी की 500 करोड़ की कंपनी:
20 बार असफलता के बाद विकास को पता चला कि उन्हें अपनी रुचि के क्षेत्र में काम करना चाहिए। उन्हें ड्राईफ्रूट पसंद थे और उन्होंने ड्राईफ्रूट का व्यवसाय शुरू करने का फैसला किया। उन्होंने महज 10 हजार रुपये से हैपिलो कंपनी की शुरुआत की।
विकास ने अपने व्यवसाय में नवाचार किया और उन्होंने ड्राईफ्रूट को एक नए अंदाज में पेश किया। उन्होंने ड्राईफ्रूट को पैक करने के लिए आकर्षक पैकेजिंग का इस्तेमाल किया और उन्हें ऑनलाइन बेचना शुरू किया। उनकी मेहनत और लगन रंग लाई और उनकी कंपनी तेजी से बढ़ने लगी।
आज हैपिलो भारत की सबसे बड़ी ड्राईफ्रूट कंपनियों में से एक है। कंपनी का सालाना कारोबार 500 करोड़ रुपये से अधिक है। कंपनी के प्रोडक्ट भारत के सभी बड़े शहरों में उपलब्ध हैं।
हार नहीं मानने की सीख देती है हैपिलो की कहानी:
हैपिलो की कहानी हार नहीं मानने की सीख देती है। विकास डी नाहर ने 20 बार असफलता का सामना किया लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से एक छोटी सी कंपनी को 500 करोड़ की कंपनी बना दिया।
हैपिलो की कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अगर हम अपनी मंजिल के लिए मेहनत करते हैं और हार नहीं मानते हैं तो हम किसी भी मुकाम को हासिल कर सकते हैं।
निष्कर्ष:
Vikas D Nahar Story: किसी प्रेरणा से कम नहीं है। उन्होंने नौकरी छोड़कर बिजनेस करने का फैसला किया। लेकिन, उनके पहले 20 बिजनेस आइडिया फेल हो गए। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और 21वें बिजनेस आइडिया पर काम करना शुरू किया।
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