Ijya Tiwari Success Story: खाने के लिए पड़ गए थे लेले! किसी ने नहीं दिया था साथ ,अपने मेहनत के बल पर बनी पहले अटेम्प्ट में अधिकारी 

Ijya Tiwari Success Story: कहते हैं कि अगर इरादे मजबूत हों और मुश्किल काम पूरे किए जाएं तो सफलता हासिल करना हमेशा मुश्किल नहीं होता। इस बात को सच साबित कर दिखाया है कन्नौज जिले की एआरटीओ इज्या तिवारी ने। जीवन की हर परीक्षा का साहसपूर्वक सामना करके और अपने कठिन परिश्रम और समर्पण की मदद से अपने माता-पिता के सपनों को पूरा करके, एक बेटी उन सभी लोगों के लिए एक मिसाल बन गई है जो थोड़ी सी कठिनाई पर हार मान लेते हैं।

Ijya Tiwari Success Story: खाने के लिए पड़ गए थे लेले! किसी ने नहीं दिया था साथ ,अपने मेहनत के बल पर बनी पहले अटेम्प्ट में अधिकारी 

छोटी उम्र में ही उनके पिता ने अपना अस्तित्व खो दिया और उनकी मां सदमे में चली गईं। लेकिन उन्होंने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और दिन-रात कड़ी मेहनत के दम पर सफलता हासिल की। आइये समझते हैं उनकी पूरी कहानी।  मूल रूप से लखनऊ की रहने वाली इज्या तिवारी पहली बार जिले में परिवहन विभाग की महिला अधिकारी यानी एआरटीओ के पद पर तैनात हुई हैं।

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लगभग 12 वर्ष की आयु में उनके पिता की बीमारी के कारण मृत्यु हो गई। उस वक्त इज्या तिवारी आठवीं क्लास में पढ़ने लगीं। पिता की बीमारी के कारण सारी आर्थिक बचत खर्च हो गई। एक समय ऐसा आया जब हमारे अपने लोगों ने भी हमें छोड़ दिया और हमारा पुश्तैनी घर भी चला गया। किराये के मकान में रहना पड़ा। पिता के जाने के बाद माँ का स्वभाव अब ठीक नहीं रहा। घर में खाने के लिए भी पैसे नहीं बचे। जिसके बाद बेटी बेटों से आगे निकल गई और खुद अपनी मां का सहारा बन गई।इज्या तिवारी अपने माता-पिता की सबसे सफल संतान हैं।

प्रथम प्रयास में सफलता

इज्या ने बताया कि जीवन के शुरुआती दिन बेहद कठिन थे। पिता के जाने के बाद सब कुछ बदल गया और मुझे कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। हमारे कई इंसान हमें छोड़कर चले गए। लेकिन मैंने आपूर्ति नहीं की। मेरे गुरु, ब्राइट लाइन इंटर कॉलेज में प्रशिक्षक, ने इस तथ्य के बावजूद कि मेरे पास नकदी नहीं थी, मुझे मुफ्त स्कूली शिक्षा दी।

खुद भी पढ़ा और मां को भी पढ़ाया

इज्या ने अपने पूरे विश्वविद्यालय के दिनों में पाठ पढ़ाया। इज्या ने अपनी मां को भी आगे देखने के लिए प्रेरित किया। मेरा ग्रेजुएशन हो गया। पिता की मृत्यु के बाद माँ टूट गयी; उन्होंने कई समस्याओं का सामना किया और अपनी माँ की देखभाल की। अपनी बेटी के बजाय उसकी माँ बनकर उसकी सेवा की। यहां तक ​​कि 2014 में एक बैंक में नौकरी करने के बाद भी इज्या ने अपनी मां की देखभाल करते हुए 10 से 5 बजे की नौकरी के बाद रात में 9 से 2-3 बजे तक कड़ी मेहनत और लगन से पढ़ाई करके यूपीपीसीएस की तैयारी शुरू की। इज्या ने अपनी पूरी तैयारी के दौरान कोई क्लास नहीं ली। उन्होंने ऑनलाइन और विभिन्न स्रोतों से अपना शोध जारी रखा। इज्या तिवारी को 2018 बैच में पहले ही प्रयास में उपलब्धि हासिल हुई।

इज्या तिवारी की तरफ से छात्रों के लिए मुख्य संदेश

इज्या तिवारी बताती हैं कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के लिए परीक्षा देते समय छात्रों को कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। उन लोगों को विश्लेषण करते समय समय का विशेष ध्यान रखना चाहिए, मैंने विश्लेषण करते समय खुद को थोड़ा अलग कर लिया। ऐसी किसी भी स्थिति में, जीवन के उतार-चढ़ाव के बीच भी, मैंने अपना शोध एक तरफ रख दिया। काम के साथ-साथ मैंने लगातार पांच से छह घंटे मन लगाकर पढ़ाई की। छात्र अब किसी भी परिस्थिति में निराश नहीं होना चाहते। अगर आप पूरी इच्छाशक्ति और मन से तैयारी में जुटेंगे तो सफलता जरूर मिलेगी।

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Surbhi Kumari
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